Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Foundation Core | SUS1FC007 | 4 |
Semester and Year Offered: 1ST Semester
Course Coordinator and Team: Dr Vaibhav
Email of course coordinator: vaibhav[at]aud[dot]ac[dot]in
Pre-requisites: None
Aim:इस पाठ्यक्रम के ज़रिए स्नातक स्तरीय विद्यार्थियों में भाषा व साहित्यिक अभिव्यक्ति की सम्वेदनशीलता विकसित की जाएगी। हिंदी भाषी क्षेत्र के सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति को समझने तथा हिंदी भाषी जनता के साथ आलोचनात्मक सम्वाद कायम करने में यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की सहायता करेगा। इस तरह यह पाठ्यक्रम अभिव्यक्तिपरक विविधता तथा लिखित साहित्य में मौजूद सामाजिक यथार्थ को ग्रहण करने और उसका विश्लेषण करने के ज़रिए ज्ञानात्मक सम्पदा को रूपायित करने में मददगार होगा। कोर्स में साहित्यिक भाषा के विविध रूपों से छात्रों को परिचित कराया जाएगा। माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थी कविता, कहानी, यात्रा वृत्तांत, आत्मकथा, निबंध, संस्मरण, नाटक आदि विविध विधाओं के स्वरूप व उनके चुनिंदा उदाहरणों के ज़रिए भाषाई बहुलता और हिंदी संसार के जटिल यथार्थ को समझ सकेगा। हिंदी भाषा के आधुनिक स्वरूप का निर्माण स्वाधीनता आंदोलन से गहराई से जुड़ा हुआ है जो हमारे देश के औपनिवेशिक समय के प्रतिकार के रूप में उपजा था। यह प्रतिकार सीधे-सीधे राजनीतिक तो था ही, उसके अतिरिक्त तत्कालीन लेखन में इसकी सृजनात्मक अभिव्यक्ति भी हुई थी। जिसे आधुनिक हिंदी कहा जाता है उसके लगभग सभी रचनाकार इसी अनुभव, प्रतिकार और अभिव्यक्ति में अवस्थित हैं। अतः यह पाठ्यक्रम आधुनिक हिंदी भाषा की उत्पत्ति और उसकी सामाजिक भूमिका से विद्यार्थियों को परिचित कराता है। इसके साथ ही इस पाठ्यक्रम में प्राथमिक स्तर का आधारभूत लेखन भी सिखाया जाएगा, जिसमें संक्षेपण, पत्रलेखन, पल्लवन, आवेदन, जीवनवृत्त आदि भी शामिल होंगे।
Course Outcomes:
हिंदी में लेखन की विविध विधाओं का परिचय। हिंदी के साहित्य से प्रति मन में अनुराग व जुड़ाव पैदा किया गया।
हिंदी भाषा में माध्यमिक स्तर के लेखन का प्रशिक्षण दिया गया। लेखन में वर्तनी, व्याकरण, शब्द भंडार से जुड़े कौशल का विकास किया गया
विद्यार्थियों को विविध क़िस्म की अभिव्यक्तियों में दक्ष बनाया गया।
साहित्यिक में अभिव्यक्त सामाजिक यथार्थ को पहचाने की क्षमता विकसित की गई।
Brief description of modules/ Main modules:
माड्यूल 1:
हिंदी में आत्मकथा, संस्मरण और यात्रा वृत्तांत लेखन प्रचुर मात्रा में होते हुए भी आलोचनात्मक पड़ताल का विषय काम ही बन सका है। ये विधाएँ एक आत्मीयता का पुट लिए हुए होती हैं और इनके विश्लेषण और मूल्यांकन की प्रक्रिया में तत्कालीन समाजों के द्वंद्वों, तनावों व अंतर्विरोधों को समझा जा सकता है। व्यक्ति के मुहावरे में साहित्य में अभिव्यक्त इन सामाजिक सच्चाईयों को विद्यार्थी ज़्यादा बेहतर तरीक़े से समझ सकेंगे। आत्मकथाएँ आत्म के साथ ही अपने समय और समाज की भी कथाएँ होती हैं। इसी तरह संस्मरण भी व्यक्ति या स्थान से जुड़ी स्मृतियों के ज़रिए इतिहास के किसी कालखंड का सामाजिक रंग हमारे सामने उपस्थित करते हैं। यात्रा वृत्तांत न सिर्फ़ गंतव्यों बल्कि यात्रा के रोमांच से भी पाठक के रूप में हमारा सामना करवाते हैं। इस प्रक्रिया में अंतर्वैयक्तिक अंत:क्रियाओं व विभिन्न संस्कृतियों से पाठक का सबका होता है जिससे उसका सम्वेदनात्मक धरातल विकसित होता है। इस माड्यूल में इन तीन विधाओं के प्रतिनिधि चुनिंदा पाठों का विश्लेषण करते हुए हम न सिर्फ़ विभिन्न भाषा-ढाँचों से परिचित होंगे बल्कि व्यक्ति सम्वेदनों के सहारे अनुभूत समाज से भी विद्यार्थियों को परिचित करा पाएँगे।
निर्धारित पाठ:
आत्मकथा: अपनी ख़बर (पांडेय बेचन शर्मा उग्र), चुनिंदा अंश
संस्मरण: एक था टी हाउस (शेरजंग गर्ग)
यात्रा वृत्तांत: ठेले पर हिमालय (धर्मवीर भारती)
माड्यूल 2:
इस माड्यूल में विद्यार्थी एकांकी, निबंध और व्यंग्य के सहारे भाषा के बहुल स्तरों और उनको बरतने की कला से वाक़िफ़ हो सकेंगे। एकांकी एक अंक का नाटक होता है जो किसी एक घटना पर आधारित होता है। अभिनयशीलता के लिहाज़ से इस विधा में भाषा और नाटकीयता के कई स्तर होते हैं। दूसरे इस विधा में कथोपकथन संप्रेषण की अलग-अलग भंगिमाओं और अर्थ छवियों को उद्घाटित करता है। निबंध विचारों को सम्यक तरीक़े से बाँधना है पर यह अपने दायरे के भीतर विचारों की यायावरी को प्रेरित करता है। निबंध व्यक्ति की स्वाधीन चिंता की उपज होते हैं। ऐसे निबंधों में विचारों की स्वच्छंदता का विशेष महत्व होता है। भाषा की वक़्ता के सौंदर्य और उसकी बेधक क्षमता का सच्चा उद्घाटन व्यंग्य में होता है। व्यंग्य अपने लक्ष्य को चुभते भी हैं परंतु जिसे चुभते हैं, उसे प्रतिक्रिया का अवसर भी नहीं देते। यह विधा भाषा की सामर्थ्य और संप्रेषण क्षमता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। जो कहा गया, वह न समझा जाए और जो न कहा गया, वह समझ लिया जाय, ऐसा भाषिक वितान विद्यार्थियों को हिंदी गद्य की अर्थ बहुलता की क्षमता से वाक़िफ़ करा सकेगा। इस विधा में हास्य-विनोद का पुट होने के कारण इसकी पठनीयता बढ़ जाती है।
निर्धारित पाठ:
माड्यूल 3:
काव्य मनुष्य की साहित्यिक अभिव्यक्ति के प्राचीनतम रूपों में से एक है। आदिकाल से लेकर आज तक कविता की यात्रा शब्दों के शक्ति संधान की यात्रा है। आधुनिक हिंदी कविता अपनी पूर्ववर्ती काव्य परम्परा की भूमि पर ही पल्लवित होती है। यहाँ कविता ठोस राजनीतिक, सामाजिक संदर्भों की अभिव्यक्ति के साथ ही नए क़िस्म के सौंदर्यबोध की निर्मिति में लगी दिखाई पड़ती है। पिछले तीन दशकों में स्त्री व दलित अस्मिताओं के दृष्टिकोण से नई भाषा और सौंदर्यबोध के साथ प्रतिरोध का नया स्वर उभरा है। इसी तरह कहानी भी कहन, कथा, वार्ता, गप आदि के रास्ते से चलती हुई आधुनिक समय में नए ठाठ और नए विचारों के वहन में सक्षम बनकर विकसित हुई है। इस माड्यूल में निर्धारित पाठों में कविता और कहानी के आधुनिक स्वरूपों, स्वरों, भंगिमाओं तथा भाषिक सम्वेदनाओं से विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा।
निर्धारित पाठ:
माड्यूल 4:
हिंदी लेखन : संक्षेपण, पत्रलेखन, पल्लवन, आवेदन, जीवनवृत्त आदि
इस माड्यूल में विद्यार्थियों को प्रारम्भिक हिंदी लेखन से परिचित कराया जाएगा। लेखन के कौशल के विकास, संप्रेषण और दैनन्दिन जीवन में उसके उपयोग सिखाना इस माड्यूल का लक्ष्य है। पाठ के अधिगम व उसके सारतत्व की पहचान कर उसे संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त करना, किसी बीज विचार को अपनी वैचारिक, भाषिक व अनुभवात्मक सम्पदा के ज़रिए विकसित करना, औपचारिक व अनौपचारिक संप्रेषण में दक्षता हासिल करना, वस्तुनिष्ठ और उपयोगी ढंग से ख़ुद को अभिव्यक्त करना आदि दैनन्दिन जीवन में आवश्यक है। यह माड्यूल विद्यार्थियों को इन विविध प्रकार की लेखन की रणनीतियों से परिचित कराएगा।
Assessment Details with weights:
सहायक पुस्तकें और संदर्भ: